Ratan Tata Biography In Hindi Full Detailed

Ratan Tata Biography In Hindi Full Detailed .

रतन टाटा का विस्तार में जीवन परिचय हिंदी में।

रतन टाटा का बर्तन मांझने से फोर्ड कंपनी को झुकाने तक का पूरा सफर चलिए जानते हैं।

 
Ratan Tata Biography In Hindi Full Detailed, रतन टाटा का जीवन परिचय हिंदी में।
रतन टाटा का जीवन परिचय हिंदी में।




 ::-- Introduction (परिचय)

यह आर्टिकल टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा की है।
रतन टाटा एक महान व्यक्ति हैं जो जमशेद जी टाटा के पोते हैं। रतन टाटा एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो बड़े-बड़े कंपनियों को अपने सफलता के दम पर झुका दिए।
वह पैसों के साथ-साथ दिल से भी धनी है।
वह अपना मुनाफे को दान भी करते हैं।
वह एक ऐसे हस्ती है जिन्होंने भारत देश का नाम पूरे दुनिया में रोशन किया है।
आज वाह करोड़ों लोगों की प्रेरणा बन चुके हैं। 
वह टाटा कंपनी चलाने के साथ-साथ वह एक Industrialist,Investor भी हैं।
देखा जाए तो रतन टाटा ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने टाटा कंपनी को इतना बड़ा मुकाम तक पहुंचाया है।

वह कहते हैं की जिंदगी में उतार-चढ़ाव का होना बहुत जरूरी है क्योंकि ECG में भी सीधी लाइन का मतलब death होता है।


::-- Biography (जीवन परिचय)

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था , और वह बचपन से ही तेज थे।
उनकी माता का नाम सोनू टाटा है, जो एक गृहिणी है।
उनके पिता का नाम नवल टाटा है, जो जमशेदपुर टाटा के छोटे भाई के द्वारा गोद लिए थे।

जमशेद जी टाटा ने ही टाटा ग्रुप की शुरुआत की थी।

सन 1948 को जब वह 10 साल के थे तब उनके माता-पिता का डिवोर्स हो गया, जिसके बाद रतन टाटा का देखभाल उनकी दादी और नवाज भाई टाटा करते थे।

::-- Education (शिक्षा)

इनका शुरुआती शिक्षा कैथेड्रल और जॉन केनन स्कूल मुंबई तथा विशप कैनन स्कूल शिमला से हुआ।

वह एक शर्मीले किस्म के व्यक्ति थे और समाज के झूठी चमक में विश्वास नहीं रखते थे, उन्होंने टाटा नाम को भूल कर खुद के दम पर शिक्षा लेने की जिद से वह अमेरिका में अपने एजुकेशन खत्म होने तक वह बर्तन मांझा करते थे।

1962 में रतन टाटा ने यनिवर्सिटी यूएसए में आर्किटेक्चर की पढ़ाई की। फिर ग्रेजुएशन के बाद वह Tata steel में काम करने लगे।

::-- Work (काम)

शुरुआत में उनके पास कोई अच्छा पोस्ट नहीं था और वह काम करते-करते उनके मन में फैमिली बिजनेस को लेकर इज्जत बढ़ गया।

फिर उन्होंने बड़ी मेहनत की और सन 1971 में उन्हें नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड का डायरेक्टर इंचार्ज बनाया गया।

इस दौरान रतन टाटा ने हावर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजर प्रोग्राम की पढ़ाई भी की जहां उनको बिजनेस के बारे में अच्छे से समझ आया और वह नए नए पहेलू के बारे में भी जान सकें।

सन 1977 में उनको एक टेक्सटाइल मिल कंपनी में भेज दिया जो आर्थिक संकट में था। रतन टाटा ने एक अच्छा प्लान बनाया कंपनी को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए। और कंपनी के एगक्यूटिव के सामने उस प्लेन को पेश किया पर उनके प्लेन को एग्जीक्यूटिव के द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया। बाद में यह नतीजा हुआ कि वह कंपनी पूरा तरह से बंद हो गया।

फिर सन 1991 को रतन टाटा को टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनाया गया।
शुरू में बहुत आलोचनाएं हुई, और यही आलोचना रतन टाटा का हिम्मत बन गया।
चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा के देखरेख में ही Tata Consultancy Services की भी शुरुआत हुई।
फिर उसके बाद उन्होंने :- Tata Tea , Tata Motors, Tata Steel को शिखर पर पहुंचा दिया।

  :::--- How Ratan Tata Took Revenge To Ford ? (रतन टाटा फोर्ड कंपनी से बदला कैसे लिए)

Success Is The Best Revenge (सफलता ही सबसे अच्छा बदला होता है)

बात उस समय की है जब रतन टाटा ने 20 दिसंबर 1998 को टाटा इंडिका को बाजार में लांच किया था। और वह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट भी था लोगों के द्वारा अच्छा रिस्पांस नहीं मिलने के कारण टाटा इंडिका कार मार्केट में फेल हो गया।
 जिसके कारण टाटा कंपनी को बहुत घाटे (नुकसान) का सामना भी करना पड़ा।
यह प्रोजेक्ट रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था तो टाटा कंपनी के साझेदार रतन टाटा को ही कोसते। फिर टाटा मोटर्स के साझेदारों ने बहुत घाटा होने के बाद रतन टाटा को टाटा मोटर्स बेचने की सलाह दीया।
और ना चाहते हुए भी रतन टाटा बड़े नीराशि से अपनी साझेदारों के साथ अपनी कंपनी बेचने का सुझाव मान लिया।
फिर उन्होंने टाटा मोटर्स कंपनी का प्रस्ताव Ford Company के पास दिया। जिसका हेड क्वार्टर अमेरिका में है।
फोर्ड कंपनी और रतन टाटा के साझेदारों के साथ 3 घंटे से भी ज्यादा मीटिंग चला और फोर्ड कंपनी ने रतन टाटा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया।और फोर्ड कंपनी ने उनको यह भी कह दिया कि आपको जब इस बिजनेस के बारे में अच्छा से पता नहीं था तो फिर आपने टाटा इंडिका कार को लांच क्यों किया और इतना पैसा क्यों लगाया।
फोर्ड कंपनी के मालिक रतन टाटा का अपमान करते हुए कहा कि मैं तुम्हारी इस कंपनी को खरीद कर तुम पर एहसान कर रहा हूं।
यह बात रतन टाटा के दिल को चोट पहुंचाई और वह डील कैंसिल करके रातो रात अपने साझेदारों के साथ वह फौरन लौट आएं यह बात उनके दिल में बार-बार आ रही थी।
फिर उन्होंने निर्णय किया कि वह टाटा मोटर्स नहीं बेचेंगे और वह पूरी मेहनत से काम करने लगे,और उनका मेहनत रंग लाया धीरे-धीरे टाटा मोटर्स का बिजनेस अच्छा चलने लगा और टाटा मोटर्स मैं अच्छा मुनाफा होने लगा।

दूसरी तरफ फोर्ड कंपनी का लगातार घाटा होते ही जा रहा था और सन 2008 में दिवालिया होने के कगार पर आ चुका था।
फोर्ड कंपनी का लैंड रोवर और जैगवार जैसे बड़े कारों का बिजनेस ठप पड़ चुका था।
फिर रतन टाटा ने फोर्ड के मालिक विलफोर्ड के सामने एक प्रस्ताव पेश किया उसमें वह फोर्ड कंपनी के लग्जरियस कार जैसे लैंड रोवर जैगवार खरीदने का प्रस्ताव रखा और फोर्ड कंपनी को अच्छा पैसा भी देने को तैयार भी हो गए।
फोर्ड कंपनी बहुत ही घाटे में जा रही थी इसलिए फोर्ड कंपनी के मालिक ने इस प्रस्ताव को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
फिर फोर्ड कंपनी अपने साझेदारों के साथ टाटा कंपनी के पास आए और बड़े लंबे मीटिंग के बाद फिर एक बड़ा निर्णय लिया गया , जिसमें यह तय हुआ कि जगुआर और लैंड रोवर अब टाटा कंपनी के अधीन होगा।रतन टाटा ने लैंड रोवर और जैगवार को लगभग 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद लिया। 
अब फोर्ड के मालिक बिल फोर्ड ने रतन टाटा को फिर कुछ बोला मगर इस बार कुछ पॉजिटिव बोला उसने बोला कि आप यह कंपनी खरीद कर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं।
रतन टाटा चाहते तो बिलफोर्ड को भी उसी इसी मीटिंग पर उनका अच्छे से जवाब दे देते मगर वह अपना सफलता के नशे में नहीं थे और वह जानते थे कि जीवन में सफल होने के लिए धैर्य से काम लेना बहुत जरूरी होता है।
आज जैगवार लैंड रोवर जैसे बहुत सारी कंपनी रतन टाटा के टाटा ग्रुप का हिस्सा है और बहुत ही अच्छे मुनाफे के साथ पूरे दुनिया में राज कर रही हैं।

और कहते हैं ना जब व्यक्ति अपमानित होता है तो उसका परिणाम क्रोध होता है लेकिन महान लोग अपने क्रोध का उपयोग अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में करते हैं।

इस तरह उन्होंने अपना बदला अपनी महानता और सफलता से लिया।

वह सही फैसला लेने में विश्वास नहीं करते थे वह फैसला लेकर उसको सही साबित करने में विश्वास रखते थे।


आज टाटा ग्रुप का बिजनेस लगभग डेढ़ सौ देशों में राज कर रहा है और टाटा ग्रुप का अभी 100 से भी ज्यादा कंपनियों में काम कर रही है। अभी पूरे टाटा ग्रुप में सात लाख से भी ज्यादा एंप्लाइज है।

रतन टाटा अपने बिजनेस मैं मुनाफे का लगभग 65 प्रतिशत से भी अधिक लोगों में दान कर देते हैं।

उनकी महानता और सफलता के कारण भारत सरकार ने उनको दो बार पद्म भूषण पद्म विभूषण जैसे बड़े-बड़े पुरस्कार से भी सम्मानित किए। रतन टाटा को दुनिया में बहुत सारे देशों में भी अवार्ड तथा सम्मान मिला है।

रतन टाटा की आयु होने के कारण उन्होंने 28 दिसंबर 2012 को टाटा ग्रुप के चेयरमैन से इस्तीफा दे दिया।
उनका सब लोग अभी तक चर्चा करते हैं और उससे बहुत कुछ सीखते हैं।

उनके चेयरमैन से इस्तीफा देने के बाद का Cyrus मिस्त्री को नया चेयरमैन बनाया गया मगर बाद में रतन टाटा ने का Cyrus मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया इसके लिए रतन टाटा पर तानाशाह का आरोप भी लगा जो कि गलत था।
वह आजीवन कुंवारे ही रहे और जनता के भलाई में सोचें और साथ ही साथ देश का नाम भी पूरे विश्व में रोशन कर दिया।

तो यही था महान बिजनेस मैन रतन टाटा की सफलता की कहानी और उनका जीवन परिचय।
 


उम्मीद करते हैं कि आप उनके जीवन परिचय से प्रेरित जरूर हुए होंगे और आप भी धैर्य के साथ अपना काम करेंगे।


#Ratan Tata
#Ratan Tata Biography In Hindi
#Ratan Tata :- The Inspiration
#Ratan Tata Tata Group

Note ::-- This Biography Is Based On My Research. It May not be 100% Accurate.

Written By :- Shashi Kamal

Share This Biography With Your Friends And Family ..


Post a Comment

0 Comments